मेरे दिल की किताबों में गुलाबों की लटक बाकी
कभी इतरा के जो झटके थे बालों की झटक बाकी
इशारों से बुलाती थीं उन आंखों की मटक बाकी
मुहब्बत की कली खिलने में थोड़ी सी चटक बाकी
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मेरा इजहार है बाकी तेरा इनकार है बाकी
मेरा इसरार है बाकी तेरा इकरार है बाकी
मेरे आंगन तेरी पाजेब की झनकार है बाकी
अभी तो प्यार की पहली-पहल तकरार है बाकी
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तेरी तस्वीर दिल-ए-दुनिया में हर सू अभी बाकी
खिले हैं इश्क-ए-गुल गुलशन में खुश्बू अभी बाकी
मुझे मदहोश कर दे हुस्न का जादू अभी बाकी
तुझमें मैं अभी बाकी, मुझमें तू अभी बाकी
3 comments:
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♥सादर वंदे मातरम् !♥
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मेरे दिल की किताबों में गुलाबों की लटक बाकी
कभी इतरा के जो झटके थे बालों की झटक बाकी
इशारों से बुलाती थीं उन आंखों की मटक बाकी
मुहब्बत की कली खिलने में थोड़ी सी चटक बाकी
वाह वाह !
क्या बात है ... राजीव शर्मा जी !
अच्छा लिखा है ...
बधाई !!
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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धन्यवाद राजेंद्र जी
आपको भी मकर संक्रांति बहुत-बहुत मुबारक हो
raw and beautiful
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