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Monday, September 3, 2012

यादों ने सेंध लगाई होगी



डाल-डाल आंखों में डेरा,
नींद भी जब अलसाई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे,
यादों ने सेंध लगाई होगी।

सोचा होगा कुछ देर तलक
 फिर धीरे से मुस्काए होगे,
खोल पोटली बातों की
सब किस्से दोहराए होगे
गीले तकिए पर बदल के करवट
तुमने ली जम्हाई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी.....

मुझको याद किया होगा
तकिया बाहों में भींचा होगा,
अश्क भरे नयनों को तुमने
कई दफा मींचा होगा,
तुम्हें चिढ़ाकर बार-बार
मेरी फोटो इतरायी होगी,
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी

आंखें उनींदी भारी होंगी
थकी-थकी बेचारी होंगी
कह देती होंगी राज सभी
तुमने लाख संवारी होंगी
लोगों ने हाल जो पूछा होगा
तुमने बात बनाई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी

जब झुंझलाकर, गुस्से में आकर
यादों का मैला फेंका होगा
तब मन बंजारा रोया सा,
कुछ बहका सा, कुछ चहका होगा
खिड़की से उड़कर आई कतरन
तुमने फ्रेम कराई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी......
- राजीव शर्मा