अब तो अपने नेता जी, बन बैठे अभिनेता जी। डायलॉग पर बजती ताली, पीछे देती जनता गाली। शीश नवाते, छूते पैर, जनता फिर भी माने बैर। वादा एक भी झूठा निकला, अगली बार नहीं है खैर। मन में खिचड़ी पकती काली, हरसत कैसी-कैसी पाली। जिससे लड़ा रहे थे नैना, उससे कहते प्यारी बहना, भैया तेरा रहा पुकार, कर चुनाव में नैया पार। पीकर टॉनिक ताकत वाले, जेब छुआरे-पिस्ते डाले....गांव-गांव में करते शोर, सांझ ढले या तड़के भोर, वोट चाहिए मुझको मोर, जनता कहती आ गए चोर। नेता जी के चेला जी, लेकर चलते थैला जी। वोट के बदले देते नोट। सूरत भोली मन में खोट, चरणों में जाते हैं लोट। लगा रहे जय-जय के नारे, छुटभय्ये बने रखवारे। रुक जाओ थोड़े दिन भय्ये, नजर आएंगे चंदा-तारे। नेता जी को धूल चटाने जनता ने ठोकी है ताल, बजा सको तो खूब बजाओ नेता जी तुम फूले गाल। जब रिजल्ट आगे आएगा, उड़ जाएंगे सिर के बाल।
नेता जी की घरवाली, हाथ में चूड़ी कान में बाली, सूरत कितनी भोली-भाली, गली-गली फिरती मतवाली, कहती ‘इनको’ देना वोट, मन में इनके नहीं है खोट। मेरे इनकी बात निराली, इनके सपने नहीं ख्याली, ‘ये सड़कें बनवाएंगे, हैंडपंप लगवाएंगे, भूखी जनता जो देखेंगे, खुद रोटी न खाएंगे। इनके जैसा कोई न दूजा, चलो करें हम इनकी पूजा। ये चुनाव जब जीतेंगे, दु:ख के दिन सब बीतेंगे। ’ जनता जी ने झाड़ा कान, बोली छोड़ो ये गुणगान, पांच साल में पांच बार भी नेता द्वार नहीं आए, सड़कों की तो बात छोड़िए, कोलतार भी न लाए। पति प्रेम में पागल होकर चौखट-चौखट फिरती है, बनती है हमदर्द सभी की, मेकअप भी नहीं करती है। सूख गई सनस्क्रीन की बोतल, काजल भी सब फैल गया, तवे की रोटी काली हो गई और रायता फैल गया। किटी पार्टी छूट गई, सखियां सारी रूठ गईं, चाय पिलाते चेलों जी को, नई क्रॉकरी टूट गई। सोच रही है मन ही मन, कब ये झंझट छूटेगा, काली बिल्ली के भाग्य से कभी तो छींका फूटेगा।
4 comments:
बहुत खूब
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मैं भी नेता बन जाऊं - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत खूब कहा आज के नेता पर
लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
बहुत बढ़िया चित्रण है नेताओं का....
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