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Saturday, July 28, 2012

बहना मेरी राखी डिजाइनर ही लाना



क्या दिन थे जब राखी के रूप में भैयाओं के कलाई पर चाहें रील का धागा क्यों न बांध दिया जाता, भाई उस धागे को रेशम की डोर समझकर ताउम्र बहना की रक्षा का संकल्प लेते। बात दीगर है कि अगले ही दिन उनमें इतनी जोर से लड़ाई ङोती कि भाई राखी उतार कर फेंक देता, ‘ले नहीं पहननी तेरी राखी, निकाल मेरे पैसे वापस।’ खैर...ये तो घर-घर की कहानी है। अब बच्चे नहीं लड़ेंगे तो क्या बड़े लड़ेंगे। वैसे बड़ों की लड़ाई बच्चों की लड़ाई से ज्यादा खतरनाक होती है, अब आप पूछेंगे भला कैसे...। ये कभी बाद में बताएंगे, अभी राखी की बात करते हैं। हां तो...पुरानी राखियां कितनी बड़ी-बड़ी होती थीं ना। सो बिग। कलाई पर जितनी बड़ी राखी बंधी होती, भैया की मूंछें उतनी ही ऊंची हो जाती थीं। अगर किसी भैया की चार बहनें होतीं और वे एक-एक राखी बांधतीं तो राखियां बाजू तक आ जाती थीं। फॉम की राखियों पर लाल-पीले रंग की प्लास्टिक के सुनहरे अक्षरों में लिखा होता था, ‘मेरे भैया..’ ‘मेरे वीर’ अगर शहर में ब्याही बहना अपनी मॉडर्नता झाड़ने के लिए राखी के रूप में डिजाइनर धागा ले आती तो भाभी शिकायत करते हुए कहती, ‘चौं बहन जी....पइसा कम पड़ गए का? जे धागा तौ हाथ पै नैकऊ ना दिखाई दै रहौ है। गिर्रो के हाथ पे ऐसी मौटी राखी बंधी है, चार फूल बने हते हैं बा पै।’
वो जमाना तो कुछ और ही था। उन दिनों ‘बोल्ड एंड ब्यूटीफुल’ राखियां चला करती थीं। बिल्कुल साउथ इंडियन हीरोइनों की तरह। मांसल और गठीली। अब राखियां कितनी स्लीक हो गई हैं। एकदम बॉलीवुड हीरोइन के माफिक। मानो डायटिंग पर चल रही हों और उन्होंने भी जिद ठान ही लो कि हमें जीरो फिगर चाहिए। अगर फिगर जरा भी ऊपर नीचे हुआ तो भाई की कलाई पर नहीं सजेंगे। धागे तो धागे, राखियों का पेट भी पीठ में घुसा जा रहा है। भैया भी कौन से कम ठहरे। जब दुनिया स्लिम-ट्रिम होने की चाह में मरी जा रही है तो वे गोल-मटोल मुटल्ली राखी से अपने हैंड की शोभा कैसे बढ़ा सकते। बहनों को साफ इंस्ट्रक्श दे दिए हैं, ‘मेरे तो धागा ही बांधना’, कोशिश करना कि उसमें ज्यादा चमक-धमक न हो, सिम्पल एंड सोबर हो...उसका धागा रंग न छोड़ता हो, ब्रेसलेट लुक हो। ‘मैं जब चाहूं उतार दूं, जब चाहूं पहन लूं.. ऐसा आॅप्शन होना चाहिए’। ज्यादा नग न हो...अगर चंदन वाली राखी खरीदना तो पहले सूंघकर देखना कि ज्यादा स्मैल न हो..। और हां...घेवर की जगह काजू की बर्फी का मेवे के लड्डू लाना, हलवाई कई दिन पहले से घेवर बनाकर रखते हैं। बिट्टू मिठाई नहीं खाता, उसे डेरी मिल्क पसंद है। चाहो तो मिठाई की जगह ड्राई फ्रूट्स ले आना। अब बेचारी बहना कहे तो कहे कैसे, राखी बंधवा ले मेरे वीर।


लगे रहो अन्नाभाई