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Sunday, May 11, 2014

अरी यशोदा

अरी यशोदा,
बहुत गुमान है न तुझे अपने आप पर
कि तू नटखट कन्हैया की मां है...
अरी यशोदा,
बहुत गुमान है न तुझे अपने बालक पर
कि तेरा लाल जग में सबसे न्यारा है...
तू अपनी जगह सही है,
तेरा लाल भी सही है.....
पर, एक बार कभी मेरी जगह लेकर देख
कभी अपने कलेजे के  टुकड़े से कह कि
वह मेरे बेटे की जगह लेकर देखे
सारा भ्रम मिट जाएगा...
मेरा लाल तेरे लाल की तरह चांद खिलौना नहीं मांगता
बस मांगता है तो एक चीज.....‘मम्मी आज आॅफिस मत जाओ’, आज दोनों खेलेंगे...।
तू सारा दिन अपने कान्हा के पीछे भागती है....
सारा दिन मेरा कान्हा मेरे पीछे भागता है...
तेरा लाल छुपता है कि कहीं उसकी मां न आ जाए
मैं अपने लाल से छुपती हूं कि कहीं मुझे जाता हुआ न देख ले..।
रात में जब तेरा लाल आंचल पकड़कर तेरे पीछे आता है
तो तू उसे लोरियां सुनाती है....
रात को 12 बजे मेरा लाल मेरे साथ खेलने की जिद करता है
तो मैं दिन भर की खीझ उस पर निकालती हूं...
मेरा लाल रोने लगता है..
‘मम्मी सॉरी, मम्मी सॉरी’ कहते हुए गोद में आ बैठता है
तब दोनों मिलकर रोते हैं...
वह समझता है मेरी मजबूरी
चुपचाप सो जाता है,
बस थोड़ा जिद्दी है....
पर गलती उसकी नहीं...
तेरे लाल जैसे लाल की कामना जो थी मुझे...
पर भूल गई थी कि मैं यशोदा नहीं...
भूल गई थी कि  मुझे आॅफिस भी जाना होता है...
भूल गई थी कि तेरी तरह मेरे पास सेवक-सेविकाएं नहीं
भूल गई थी कि मुझे रोटी बनाते समय
अपने लाल को गर्म चिमटे का भय दिखाना होगा
भूल गई थी कि तू....तू है और मैं....मैं हूं...
भूल गई थी कि मेरा लाल तेरे लाल की जगह नहीं ले सकता है।
अरी यशोदा
अब तो खुश होगी ना तू
कि तेरे जैसी मां दूसरी कोई नहीं
अरी यशोदा
अब तो बलैया ले रही होगी अपने कान्हा की
कि तेरे लाल जैसा किसी का लाल नहीं...।

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

मार्मिक ... मन को झंझोड़ जाते हैं शब्द ...

priya singh said...

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