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Monday, July 8, 2013

मुहब्बत का गुमान


वो कहते हैं
सिर चढ़ जाती है मुहब्बत
करने से इजहार बार-बार
कोई उनसे पूछे जरा
क्यों गूंजती है मस्जिद में
पांच वक्त की अजान, और
मंदिरों में घंटे-घड़ियाल...
क्यों उसके सजदे में
हर बार ही झुकता है सिर
क्यों बिना वजह ही सारा दिन
बच्चा मां का पल्लू पकड़े
पीछे-पीछे घूमता है,
क्यों सूरज रोज सवेरे
लाल चूनर ओढ़ाता है धरती को
क्यों हवा के झोंके मदमस्त
किए जाते हैं तरु-पल्लव को
क्यों हर बार मेघ ही शांत करते हैं
धरती की प्यास को
क्यों चकोर सारी रात
तकता रहता है चांद को,
अब बता,
किसे है मुहब्बत का गुमान
तुझे या मुझे....?