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Wednesday, July 16, 2008

जिल्लत की जिन्दगी

कहते है बाप के लिए सबसे बड़ा बोझ बेटे की अर्थी को कन्धा देना होता है। लेकिन क्या किसी ने आरुशी के पिता से पूछने की कोशिश की उनका दर्द क्या है। बिना बेटे की अर्थी को कन्धा दिए उसने दुनिया का सबसे बड़ा बोझ उठाया। वह है जिल्लत का। मीडिया के दवाब में पुलिस ने उसे अपने ही जिगर के टुकडे का हत्यारा बना दिया। ये मीडिया ही था जिसने पहले दिन टॉप लीड दी थी कि पापा ने ही मारा आरुशी को। बाद में इसी मीडिया ने दिया कि पापा ने नही मारा आरुशी को। मीडिया ने अपना कम किया और पुलिस ने अपना। बीच में पिसा तो सिर्फ़ अभागा बाप।

3 comments:

vipinkizindagi said...

sahi hai

Udan Tashtari said...

क्या करियेगा?? सब अपने आप में मगन-अपना खेत सींच रहे हैं.

kapil kumar said...

rajeev bhai, chalo koi to aage aaya rajesh talwar ke liye. ye wakai wo abhaga baap jo beti ki mout ka matam bhi dhang se nahi mana saka.
-kapil meerut