आज मन उदास है
शायद कोई कविता जन्म लेगी
टूट गई हर आस है
शायद कोई
कविता जन्म लेगी।
न कोई गिला, न कोई शिकायत
फिर भी दबा-दबा सा अहसास है
शायद कोई कविता जन्म लेगी...
रोये भी नहीं हैं इस कदर कि
चेहरे पर छाई वीरानी हो
हंसे भी नहीं है इस कदर
कि जज्Þबातों को हैरानी हो
फिर क्यों ऐसे ख्यालात हैं
शायद कोई कविता जन्म लेगी...
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