हमारे वित्तमंत्री जी ने हाल ही में अपने बजट में घोषणा की थी कि देश में महिलाओं के लिए अलग से बैंक खोला जाएगा जिसमें कर्मचारी के तौर पर महिलाएं ही कार्य करेंगी और खाता भी महिलाओं का ही खोला जाएगा। अब चूंकि महिलाएं तो महिलाएं होती हैं फिर चाहें वह बैंक कर्मी हों या हाउस वाइफ, और सभी महिलाओं में कुछेक गुण पूरी तरह समान होते हैं। ऐसे में उस बैंक का नजारा क्या होगा, देखिए हमारी कलम की नजर से।
दृश्य एक
दोपहर के 12 बजकर दस मिनट हो रहे हैं। पहली महिला कर्मी ने बैंक में प्रवेश किया....हॉल में सन्नाटा पसरा देखकर कहने लगी, वाऊ! आज मैं सबसे पहले आ गई। फिर मन मसोसते हुए बोली, मुझे क्या पता था यहां कोई नहीं होगा, इससे अच्छा तो मैं पार्लर ही होती आती। खैर....बैटर लक नेक्सट टाइम। तभी बैल बजाकर पानी मंगाया। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त एक महिला पानी लेकर आई, आते ही बोली,अरे मैडम आज तो बड़ी जच रही हैं..नया सूट..? सर ने दिलाया क्या..? अरे नहीं रे शांति.....तू सूट-वूट छोड़, ये बता कल मेरे घर काम करने आ सकती है। हमारी कामवाली हफ्ते भर के लिए जा रही है। देख तू बैंक की टेंशन मत ले। यहां हम सब लोग एडजस्ट कर लेंगी। मैंने बाकी सब लेडीज से बात कर ली है। आखिर उन्हें भी तो कभी न कभी तेरी जरूरत पड़ेगी।
दृश्य दो:
काउंटर पर एक महिला पैसे जमा कराने आती है।....मैडम ये लीजिए पचास हजार रुपये। दो साल के लिए जमा कर दीजिए।
बैंककर्मी: इतने पैसे कहां से बचा लिए?
महिला- बचे कहां मैडम, किटी करके जोड़े हैं, हसबैंड को नहीं बताया।
बैंककर्मी: अच्छा आप किटी करती हैं, वैसे कहां चल रही है आपकी किटी?
महिला-जयपुर हाउस में। बीस महिलाओं की किटी है, दो-दो हजार हर महीने जमा कर करते हैं, पांच सौ रुपये लकी लेडी के होते हैं।
बैंक कर्मी- अच्छा, मेंबर्स पूरे हो गए...?
महिला: हां... ये किटी तो खत्म भी हो गई..अगली किटी अप्रैल से शुरू होगी।
बैंक कर्मी- मैं उसमें मेंबर बन सकती हूं?....वो क्या है कि बहुत दिन से सोच रही थी किटी ज्वाइन करने की, पर कोई अच्छा ग्रुप नहीं मिल रहा। वैसे भी शनिवार को हाफ डे होता है, मैं टाइम पर ज्वाइन कर लूंगी।
महिला: नई ज्वाइनिंग के बारे में तो मेंबर्स से पूछना पड़ेगा।
बैंककर्मी: आप मेरा फोन नंबर ले जाइए, शाम को बता दीजिएगा।
महिला: ठीक है मैं आपको शाम को फोन करती हूं। बाय....
बैंककर्मी: अरे भाभीजी, ये तो बताती जाइए ये पैसे किस एकाउंट में जमा करने हैं....?
महिला: ओर सॉरी, मैं तो भूल ही गई...।
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दृश्य तीन
एक महिलाकर्मी का फोन बजता है....हां...रमोली बोलो..। आज आॅफिस क्यों नहीं आईं...? पता है आज मैं कोफ्ते की करी और भरवां परांठे लेकर आई थी। पूरे दो घंटे लगे थे मुझे लंच तैयार करने में, इस वजह से आज मैं आॅफिस के लिए भी लेट हो गई। सब लोग बहुत तारीफ कर रहे थे......।
रमोली (फोन पर): मीनू आज अर्जेंट काम लग गया था। मैं कल भी छुट्टी पर रहूंगी। हो सके तो मेरी फाइल तुम निबटा लेना।...
तभी एक महिला कर्मी पैसे जमा करने की स्लिप ढूंढती हुई आती है...
बैंककर्मी : पता नहीं कहां रख दी सारी स्लिपें। कोई चीज जगह पर ही नहीं मिलती है। मैं तो बस एक बार मुन्नी की रफ कॉपी बनाने के लिए स्लिप ले गई थी। उसके बाद जाने किसने हवा कर दीं।
मीनू - देखना चार-पांच स्लिप टेबल के नीचे पड़ी हैं, अभी किसी ने इनसे नेलपॉलिश साफ की है। वो देखो स्लिप का एक ढेर कूढ़ेदान में पड़ा है, अंजू और बीनू ने मेरे कोफ्ते स्लिप पर रखकर टेस्ट किए थे।
3 comments:
सार्थक प्रस्तुतीकरण,आभार.
dhanyvaad sir.....
श्रीमान सामान्य बैंको में भी काफी संख्या में महिला कर्मचारी काम करती है और माना जाता है की वो पुरुष कर्मचारी से ज्यादा इमानदार होती है महिला बैंक में कम से कम कोई घोटाला नहीं होगा और लोन देने के लिए आप से घुस नहीं माँगा जायेगा :)
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