दुनिया भर के हाई प्रोफालइ प्रेमियों, लो प्रोफाइल लवर्स, मीडियम, सड़कछाप, आवारा मजनुओं से क्षमा मांगते हुए....हां तो जनाब अगर आज मुमताज महल जिंदा होती और शाहजहां और मुमताज की आंखें फरवरी के हॉट सीजन में चार होतीं तो क्या नजारा होता....।
(बात पता नहीं कब की है चूंकि दिल से बनाई गई है इसलिए जब आपका मन हो तब की ही मानिए.....)
शाहजहां के पास अकूत दौलत थी, सो उन्होंने दयालबाग या कमला नगर टाइप की किसी पॉश कॉलोनी में कई एकड़ जगह घेरकर अपन बंग्लो बनवा लिया था। मुमताज महल की अम्मी का घर ढोलीखार में था। (मान लीजिए)...। मुमताज महल अंग्रेजी की ट्यूशन लेने ढोलीखार से संजय प्लेस अपनी एक्टिवा पर आया करतीं थी। वेलेनटाइन की पूर्व संध्या पर शाहजहां का मन हुआ कि चलो सदर की सैर की जाए, देखा जाए कि फिजा में प्यार की कितनी महक मार रही है। दूसरी ओर मुम्स (मुमताज की सहेलियां प्यार से मुमताज को मुम्स कहकर बुलाती थीं) अपनी स्कूटी से अंग्रेजी के टीचर के लिए गुलाब खरीदने निकली थीं। अम्मी ने पैसे तो बेसन और मूंग की दाल लाने के लिए दिए थे पर मुम्स का पहला क्रश तो अंग्रेजी के टीचर ही थे ना। मुम्स ने सोचा कि वेलेनटाइन डे पर गुलाब का फूल बहुत महंगा मिलेगा सो एक दिन पहले ही खरीद लिया जाए। मुम्स को क्या पता था कि गुलाब का तो बहाना है दरअसल किस्मत को शाहजहां को मुमताज से मिलवाना है। आगे-आगे मुम्स की स्कूटी, पीछे-पीछे शाहजहां की बीएमडब्ल्यू....एमजीरोड के जाम को चीरते हुए दोनों बढ़े चले जा रहे थे सदर की तरफ। मुम्स को हेलमेट लगाने की आदत नहीं थी। उस दिन मुंह पर कपड़ा भी नहीं बांधा था... बाल गीले थे इसलिए चोटी नहीं बनाई थी। टॉप कुछ टाइट था लेकिन सोबर लग रहा था। जींस पर टैटू बना हुआ था। बहुत स्वीट लग रहीं थी उस दिन, इसलिए स्टाइल भी कुछ ज्यादा मार रहीं थी। फर्राटे से स्कूटी दौड़ाते हुए चली जा रही थी अपनी धुन में। तभी मुम्स को लगा कि स्कूटी कुछ प्रॉब्लम दे रही है। दरअसल उमसें पेट्रोल खत्म होने वाली थी। एक बारगी उनकी स्कूटी बीएमडब्ल्यू से टकराते-टकराते रह गई, शाहजहां पहले तो कुछ नहीं बोले लेकिन जब स्कूटी दूसरी बार टकराई तो शाहजहां से नहीं रहा गया, वे गाड़ी का शीशा उतारते हुए बोले, ‘मोहतरमा, ठीक से स्कूटी चलाइए।’ तभी स्कूटी बीएमडब्ल्यू की हैडलाइट से जा टकराई। शाहजहां का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया, वे बंद शीशे में से ही चीखे, गुस्ताख लड़की, देखती नहीं तूने क्या कर दिया। गाड़ी का इंश्योरेंस भी नहीं है....। दूसरी तरफ मुम्स एक्टिवा खराब होने के कारण आॅफ मूड में थी, शाहजहां का गुस्सा उन्हें बर्दाश्त नहीं हुआ। वे एक्टिवा से उतरीं और शाहजहां पर दहाड़ीं, अमीरजादे....ये सड़क तुम्हारे अब्बू ने नहीं बनवाई है...। हिम्मत है तो बाहर आकर बात करो...। शाहजहां बाहर निकले...मुम्म भी एक्टिवा से उतरीं, दोनों की आंखें चार हुईं.....बगल वाली दुकान में जोर-जोर से गाना बज रहा था....‘उनसे मिली नजर कि मेरे होश उड़ गए’, मुम्स में अचानक से नजाकत आ गई, वे बोलीं, हाय अल्लाह! ऐसे क्या देख रहे हो...। तभी शाहजहां के मोबाइल की रिंगटोन बजी, ‘पहली-पहली बार जब प्यार किसी से होता है..’, दोनों एक दूसरे को देख ही रहे थे कि तभी रोडसाइड भिखारी आकर शाहजहां से बोला, ‘भगवान दोनों की जोड़ी को सलामत रखे, दो रुपया दे दे बाबा।’ शाहजहां किसी भिखारी की कहां सुनने वाले थे। वे तो मुमताज के प्यार में भिखारी बन गए थे जो सरेराह प्यार की भीख मांग रहे थे। कुछ ही देर में रोड के चारों तरफ भीड़ इकट्ठी हो गई। फॉरनर्स ने सोचा कोई इंडियन तमाशा है इसलिए रोड पर पैसे फेंकना शुरू कर दिया। किसी ने बजरंग दल वालों को फोन कर दिया कि दो प्रेमी सदर में बीचों-बीच प्यार की पींगे बढ़ा रहे हैं जरूर विरोधी दल ने खेल खेला है। फिर क्या था, पहुंच गए डंडा लेकर। माजरा बढ़ता देख ट्रैफिक पुलिस आई और गुर्राई, अबे ओ....लड़की को रोड पर छेड़ता है, तुझे पता नहीं इन दिनों लड़कियों को छेड़ना कितना सेंसेटिव इश्यू है। किसी तरह मामला सुलटा और शाहजहां ने मुमताज को लिफ्ट देने के बहाने गाड़ी में बैठा लिया। गाड़ी का ड्राइवर भी कम शातिर थोड़े ही था, मुम्स के गाड़ी में बैठते ही बोला, ‘भाभी जी जब तक है जान के गाने चला दूं।’ मुमताज शर्मा कर रह गईं। यहीं से शुरुआत हो गई शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी की।
गिफ्ट जो शाहजहां ने मुमताज को दिए
- लाल गुलाब से भरा गार्डन।
- मुमताज के नाम का मल्टीप्लेस जिसमें शाहजहां मुमताज की लव स्टोरी ही चला करती थी।
- रोड का नामकरण मुमताज के नाम पर हुआ।
- मुमताज के नाम पर शॉपिंग मॉल जिसमें लवर्स को चॉकलेट्स, गिफ्ट्स, टैडी बियर्स पर डिस्काउंट मिलता था।
- राजीव शर्मा ‘राज’
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