डाल-डाल आंखों में डेरा,
नींद भी जब अलसाई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे,
यादों ने सेंध लगाई होगी।
सोचा होगा कुछ देर तलक
फिर धीरे से मुस्काए होगे,
खोल पोटली बातों की
सब किस्से दोहराए होगे
गीले तकिए पर बदल के करवट
तुमने ली जम्हाई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी.....
मुझको याद किया होगा
तकिया बाहों में भींचा होगा,
अश्क भरे नयनों को तुमने
कई दफा मींचा होगा,
तुम्हें चिढ़ाकर बार-बार
मेरी फोटो इतरायी होगी,
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी
आंखें उनींदी भारी होंगी
थकी-थकी बेचारी होंगी
कह देती होंगी राज सभी
तुमने लाख संवारी होंगी
लोगों ने हाल जो पूछा होगा
तुमने बात बनाई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी
जब झुंझलाकर, गुस्से में आकर
यादों का मैला फेंका होगा
तब मन बंजारा रोया सा,
कुछ बहका सा, कुछ चहका होगा
खिड़की से उड़कर आई कतरन
तुमने फ्रेम कराई होगी
उस रात बहुत तुम रोए होगे
यादों ने सेंध लगाई होगी......
- राजीव शर्मा
7 comments:
आंखें गीली हो जाती हैं याद तुम्हारी जब आती है,
सच्ची-मुच्ची तब न जाने नींद कहां पर उड़ जाती है
दिल को छू लेने वाली पंक्तियों के िलए बधाई राजीव भाई..
आंखें गीली हो जाती हैं याद तुम्हारी जब आती है,
सच्ची-मुच्ची तब न जाने नींद कहां पर उड़ जाती है
दिल को छू लेने वाली पंक्तियों के िलए बधाई राजीव भाई..
आंखें गीली हो जाती हैं याद तुम्हारी जब आती है,
सच्ची-मुच्ची तब न जाने नींद कहां पर उड़ जाती है
दिल को छू लेने वाली पंक्तियों के िलए बधाई राजीव भाई..
bahut khoob....har pankti dil ko chu gayi
:) sundar kavita hai magar "yaadon ka maila"!!!!! ye samjh nahin aaya shayad un yaadon ki baat hai is kavita me jo satrangee hoti hai kabhi unko maili hte nahin suna ,ho sakta hai main galat smjh rahi hoo.
bhavna ji aap apni jagah sahi hain...par kabhi-kabhi yaaden hum par itni haavi ho jati hain hian ki kuch pal ke liye unse door jana achha lagta hai...
yashwant ji aapka bahut-bahut aabhar
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