Thursday, July 31, 2008
ताज में सतरंगी चादर
ये आस्था का सैलाब था या बेपनाह मोहब्बत को सलामी। जो शाहजंहा की शिद्दत में हजारों लोग सिर झुकाने पहुचे। मौका था बादशाह शाहजंहा के ३५३ उर्स का। इस दौरान ८०० फीट लम्बी चादर चढाई गई।
3 comments:
admin
said...
बहुत खूब।
July 31, 2008 at 11:04 PM
Unknown
said...
badiya
August 13, 2008 at 1:10 AM
kapil kumar
said...
wakai es mohbbat ko mera bhi salaam!
August 21, 2008 at 2:04 AM
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3 comments:
बहुत खूब।
badiya
wakai es mohbbat ko mera bhi salaam!
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